वनों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

प्रकृति हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है,जिस धरती पर हम रहते है वहाँ के जंगल, नदी, पहाड़ ओर पशु-पक्षी सुकून से रहते थे।आधुनिक विकास के कारण इंसान इस संतुलन को बिगाड़ रहा है।और इसका सबसे बड़ा कारण है- वनों की कटाई यानी डिफोरेस्टेशन।

बचपन में जिस पेड़ के नीचे हम खेला करते थे जो पेड़ हमें छाँव देते  थे , जिस पेड़ पर चिड़िया सुबह सुबह चहचहाहट करती थी अब वो पेड़ इंसानो ने अपने फ़ायदे के लिए काट दिए है और ऐसे बहुत से पेड़ कम होते जा रहे है।

 

वनों का हमारी जीवन में महत्व

पेड़ों को काटने का मतलब है कि किसी इलाके के पेड़-पौधोंं  को बड़े आधार पर काटना और उस ज़मीन का उपयोग इंसानों के विकास के लिए करना, यह गतिविधि धीरे-धीरे नही बल्कि तेज़ी से बढ़ती जा रही है ।

पेड़  हमें सिर्फ़ ऑक्सीजन नही देता बल्कि धरती के तापमान को नियंत्रित रखता है,बारिश लाता है और ज़मीन को काटने से बचता है,पेड़ हमारे पर्यावरण को बहुत मदद करते है।जंगल में कई जंगली-जानवरों  को रहने की जगह देते  है।पेड़ सिर्फ़ जंगली-जनवरो को ही सुरक्षा नही देता बल्कि इंसानों को भी सुरक्षा देता है, पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड और  ऑक्सीजन  का संतुलन बनाकर रखता है ।

पेड़ हमें गर्मी से बचाता है और वर्षा लाने में मदद करता है। प्राकृतिक आपदा  जैसे सूखा, बाढ़, और तूफ़ान के ख़तरे से भी बचाता है।वनों में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी पाई जाती है जो की आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल होती है।

 

वनों की कटाई के कारण 

१.खेती करने के लिए लोग जंगलों की सफ़ाई कर रहे है।

२.शहर में विकास लाने के लिए दिन प्रतिदिन पेड़ों की बली दी जा रही है।

३.लकड़ी का फ़र्निचर बनाने के लिए लोग बेशर्मी से पेड़-पौधोंं को काट रहे है।

४.खनिजों की खोज ओर फ़ैक्टरी के निर्माण के लिए लोग जंगल को जला रहे है।

 

वनों को काटने का परिणाम –

 १.धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है:-

जब पेड़ नहीं रहेंगे तो सूरज की गर्मी की  सीधा धरती पर पड़ेगी जिससे धरती का तापमान बढ़ता जायेगा न छाँव रहेगी न ठंडक। इस वजह से पुरे ग्रह का संतुलन बिगड़ सकता है।

 

२.  बारिश का आना और न आना:-

पेड़ो की वजह से हवा में नमी का संतुलन बना रहता है यदि पेड़ ही न हो तो बारिश की मात्रा और समय दोनों प्रभावित हो सकते है, और इससे बारिश की सम्भावना कभी ज्यादा होगी तो कभी बिलकुल ही नहीं।

 

३. बाढ़,सूखा और तूफान:-

पेड़ो की जड़े मिट्टी को पकड़कर रखती है और पेड़ ही नहीं होंगे तो बारिश मिट्टी को बाहकर ले जाती है जिससे बाढ़ के आने का खतरा बढ़ जाता है और भूमि बंज़र पड जाती है।

 

४. पेड़ो के न होने से जानवरों पर असर:-

पेड़ जानवरों का घर होता है और इंसान विकास के कारण दिन प्रतिदिन जानवरों को बेघर करते जा रहे है , पेड़ काटने की वजह से लाखो जानवरों के लिए संकट बढ़ता ही जा रहा है और कई पशु-पक्षी की प्रजातियां हमेशा के लिए ख़तम होती जा रही है।

 

५. इंसानो के लिए भी खतरा बढ़ता जा रहा है:-

पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करने से इंसान भी बीमार होते जा रहे है, साँस की बीमारियां,पानी की कमी और प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती ही जा रही है। जो आने वाले समय पर इंसानो के लिए और खतरा बड़ा देगी।

 

समाधान की और एक कदम 

जिस हिसाब से लोग अपने  फ़ायदे के लिए जंगलों को नुकसान पहुंचा रहे है तो ये खतरा सिर्फ पशु-पक्षी के लिए नहीं है बल्कि हमारे भविष्य के लिए भी बढ़ता जा रहा है, लेकिन समस्या है तो समाधान भी होगा जिसके बारे में  अब हमे विस्तार से सोचने की आवश्यकता  है।

 

१.पेड़ लगाना

यदि लोग अपने इस्तेमाल के लिए पेड़ो की कटाई कर रहे है तो साथ ही साथ जहाँ से पेड़ कटे है वहीं पेड़ो को लगाएँ भी, जितने पेड़ काट रहे है उससे ज्यादा पेड़ो को लगाए , दुबारा पेड़ लगाना अनिवार्य है।

 

२. मिलकर वृक्षारोपण अभियान करे 

लोगो को मिलकर विद्यालयों, कॉलेजों , गाँवों और शहरों में पेड़ लगाने का कार्यकर्म करना चाहिए। जिसमे बच्चे,युवा और बुजुर्ग लोग शामिल हो और पेड़ लगाने में  मदद करे।

 

३.पर्यावरण की शिक्षा 

बच्चों को हमें पेड़ का महत्व समझना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए की पेड़ हमारे जीवन के लिए कितने ज़रूरी है। विद्यालयों में “प्रकृति शिक्षा “को आवश्यक किया जाना चाहिए।

 

४.विकास और पेड़ों का संतुलन 

विकास करने से पहले लोगों को इस चीज़ का ख़याल रखना चाहिए की कितने पेड़ों का नुकसान हो रहा है और विकास कार्य के बदले कितने पेड़-पौधे लगाने ज़रूरी है।

 

५.  लोगों की एकता 

ज़्यादातर लोग पेड़ जंगल या गाँव में काटते है यदि गाँव और जंगल के पास रहने  लोग वन संरक्षण में शामिल हो जाए तो बहुत से पेड़ बच सकते है । जब लोग पेड़-पौधों को अपना मानेगे तभी तो उनकी रक्षा करेंगे।

 

अंत में:-

पेड़ सिर्फ़ लकड़ी के टुकड़े नही होते- वो एक जीवन है।हम हमारा जीवन संकट में डाल रहे है । अगर हमने समय रहते ये बात नही समझी तो एक दिन हमें ज़रूर साँस लेने को भी क़ीमत देनी पड़ेगी, अगर जंगल ऐसी चुपचाप मरते रहे तो हम भी चुपचाप जी पाएँगे? नही इसलिए अब हमें अपनी चुप्पी तोड़कर बोलना होगा पेड़ों को बचना होगा।

“जंगल बचेगा तभी हमारा कल बचेगा।”

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