बादल फटने का क्या कारण है?

अगर हम आसमान की ओर देखे तो बादल तैरते हुए कितने मासूम लगते हैं उन्हें देखकर चेहरे पर एक अलग  मुस्कान आ जाती है।  बादल सफ़ेद, मुलायम और रुई जैसा दिखता है, जिसे देखकर मन में एक अलग ही ख़ुशी आ जाती है।कभी वो खेतो में बरसकर किसानो के चेहरे पर ख़ुशी लाता है तो कभी भीषण गर्मी में  बरसात कर लोगो के दिलो को  ठंडक पहुँचाता है। बादल हमे बारिश देता है, कभी छाँव तो कभी धुप, लेकिन सवाल ये है की- बादल फटता क्यों है? क्या ये प्राकृतिक घटना या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण  छुपा है।

क्या वो थक जाता है या हम इंसानो की तरह कभी- कभी अपने भोज को सह नहीं पता है?

 

वैज्ञानिक दृष्टि से – बादल फटना 

वैज्ञानिक के दृष्टिकोण से देखा जाए तो जब  बादल में अधिक मात्रा से  पानी इकट्ठा हो जाए तो बादल एक ही जगह पर बहुत तेज़ी से एकत्रित होता  है, तो भारी बारिश होती है ।

बादल फटना ज़्यादातर पहाड़ी जगह पर देखने को मिलते हैं- जेसे उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख,हिमाचल । कभी-कभी तो बारिश इतनी तेज हो जाती है की लोगों के लिए  वो सामान्य नही रहती जाती, बल्कि आपदा बन जाती  है । कभी -कभी तो १ घंटे में ही १०० मिमी से भी ज़्यादा बारिश हो जाती है जो लोगों के लिए चिंता का कारण बन जाती है ।  इंग्लिश में इसे cloudburst अर्थात् बादल फटना कहते है। ये कोई आम बारिश नही है ये एक चेतावनी की तरह आती हैं और तबाही बन जाती है।

ये सिर्फ़ विज्ञान नही है बल्कि प्रकर्ति  का भी संदेश है।

 

प्रकर्ति भी अपनी बात बताती है – पर हम अनसुना कर देते है 

हर साल बढ़ती गर्मी का कारण है, की लोग अपनी ज़रूरत के लिए पेड़ों को काट रहे है ,जंगलों को तबाह कर रहे है, और पहाड़ों की प्रकर्ति के साथ छेड़छाड़ कर रहे और ये सब बादल के संतुलन को दिन प्रति दिन बिगड़ रहा  है ।

हमने शहर में विकास करने के लिए प्रकर्ति की  धारा ओर नहरों का रुख़ मोड़ दिया जिनसे उनके स्वाभाविक- भाव और जीवन- चक्र में असर आया है।लेकिन हमने शहर के विकास में प्रकर्ति को वो नही करने दिया जो वो शांति पूर्वक करने आयी थी, हमने उसे तबाही करने पर मजबूर किया वो तो अपनी सरलता से बहना , बरसना चाहती थी लेकिन हमने उससे मौका नही दिया। हमारी गतिविधियाँ इतनी तेज हो गई की प्रकर्ति के पास बचाव के लिए कोई रास्ता नही बचा।

 

बादल फटने के बाद क्या असर पड़ता है? 

जब बादल फटता है तो उसका असर बस बारिश तक नही रहता वो इंसान की रूह को भी हिला देता है, लोगों के मन में डर आ जाता है की अब क्या होने वाला है।

१ भूस्खलन

तेज बारिश की वजह मिट्टी ढीली हो जाती है तो  पहाड़ के किनारे खिसकने लगते  है ,सड़कें खिसकने लगते हैं, गाँव के गाँव मलवे के नीचे दब जाते हैं। लोग हर पल इसी खौफ़ में रहते हैंं की अब कहीं हमारे  गाँव की तरफ़ कोई आपदा ना आए ।

 

२ बाढ़ 

जब बादल फटता है तो उसके साथ भयानक बाढ़ भी आती हैंं, नदियाँ उफान पर आ जाती है चारों तरफ़ पानी ही पानी होता है, फिर चाहे घर हो खेत हो या सड़क, शहरो में तक पानी भर जाता है- उसे बाढ़ कहते है। आँखोंं के सामने ऐसा दृश्य आता है जिसमें चारों तरफ़ पानी ही पानी होता है, गाड़ियाँ बह रही होती है, मकान धीरे-धीरे टूटते हुए नज़र आते हैं लोग अपनी घर की छतों में आकर मदद की आस में रहते हैंं।बाढ सिर्फ़ पानी का एकत्रित होना नही होता ये एक आपदा की चेतावनी होती है।

 

३ मकान का ढह जाना 

जब बारिश बाढ़ का रुख़ लेती हो तो कच्चे-पक्के मकान भी कीचड़ और मलबे में बदल जाते है। बहुत से लोग एक साथ बेघर हो जाते है उनके पास ना ही रहने को छत बचती है ना ही पेट भरने के लिए अन्न का दाना। कुछ लोग तो लापता हो जाते है दूर-दूर तक उनकी कोई खबर नही मिलती है।

 

लोगों की  पीड़ा – जो शब्दों में  नही समाती 

जब बादल फटता है तो सिर्फ़ मकान या दुकान  नही बहती बल्कि लोगों के  सपने भी बह जाते है,रिश्ते टूट जाते है, जिंदगियाँ थम जाती है और  एक माँ रो-रो कर अपने बच्चे ढूँढती है और वो इसी आस में रहती है की उसका बच्चा एक दिन  ज़रूर मिलेगा।कई लोग तो अपनी ज़िंदगी की जमा-पूँजी को मलबे में दबते हुए देखते है वो मंज़र उनके लिए सबसे ज़्यादा दर्दनाक होता है। हर एक के चेहरे में डर दिखता है और आँखों में आँसू।

 

अभी तक भारत में बादल फटने वाली प्रमुख घटनाएँ

 केदारनाथ की घटना-

सबसे पहले अगर बात करे तो 2013 में केदारनाथ (रुद्रप्रयाग जिला)में 14 से  17 जून लगातार भारी बारिश हुई जिसकी वजह से चोराबाड़ी ग्लेशियर के पास वाली झील में  पानी बढ़ता गया फिर अचानक 17 जून की रात को केदारनाथ में बादल फटा और उसने  बाढ़ और भूस्खलन का रूप ले लिया।नदी{मंदकनी} अपने विकराल रूप में आ गई और अपने रास्ते में आने वाले गाँवों, पुलों, सड़कों और मकनो को अपने साथ बहा के ले गई।केदारनाथ मंदिर के पीछे का पूरा कस्बा मलबे में दब गया लेकिन मंदिर को बचा लिया गया।इस आपदा में 5,700 से अधिक की मृत्यु हो गई और 4,000 से ज़्यादा लोगों का कुछ पता नही चल पाया, हज़ारों लोग घायल हुए हैं और 200 से अधिक गाँव ग़ायब हो गये ।

उसके बाद हर वर्ष बाढ़ की घटना बढ़ती  ही गयी। कभी कश्मीर, कभी चेन्नई कभी हरिद्वार तो कभी अमरनाथ।

 

हालिया घटना- 

2025 में लगातार बाढ़ की खबरों का सिलसला जारी ही  है-

25-26 जून में बादल फटने से कुल्लू मनाली में कई लोगों की मृत्यु  हुई और कई लोग लापता और 1 जुलाई को फिर से मनाली में बादल फटा ओर लोगों का नुकसान हुआ फिर अप्रैल, मई में भी बादल फटने की खबर आती ही गयी। हर  महीने उत्तराखंड से बादल फटने की खबरें लगातार  आती ही जारी है।

 

अत में…

बादल फटना सिर्फ़ एक बारिश  नही है वो एक विस्फोट है-जो लोगों की ज़िंदगी और सपनों को बाह के ले जाता है।और जब ये बाढ़ बनकर अपने विकराल रूप में आता है तो इंसान को अपनी गलती का अहसास होता है।

प्रकर्ति हमें बार बार चेतावनी देती है  लेकिन हम उसे अनसुना कर देते है फिर उसकी भाषा  बाढ़,तबाही,आंसू बनती  है।इसलिए अब हमें सिर्फ़ जीना नही है, प्रकर्ति के साथ संतुलन में जीना है।

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